Hello, How r u ?
I’m fine …..wat abt u ?
me doing great ..so wen u r cuming to India?
ये सवाल पूजा न जाने कब से पूछ रह थी.और हर बार जवाब में दो ही शब्द मिलतें थे – पता नहीं….
शशांक और पूजा दोनों चेटिंग के जरिये ही मिले थे.दोनों एक ही शहर से थे,लेकिन एक दूसरे को जानतें न थे.शशांक एक बड़ी कंपनी में नौकरी करता था और पूजा अभी अपनी एमबीए की पदाई कर रही थी.आजकल की व्यस्त दुनिया में जहा कंप्यूटर ने रिस्तो को जोड़ने का काम भी किया है वही दूसरी और दूरिया भी बढ़ा दी है.लेकिन इन दोनों के लिए तो तकनीक ने जैसे एक दूसरे के दिल को बांध दिया था.पूजा को शशांक का बेसब्री से इन्तजार था.जिस से वो इतना बातें करती थी,केमरे में जिसे देखे बिना उसे नींद नहीं आती थी.उसको छूने का भी तो मन करता है …शशांक विदेश में था लेकिन समय का अंतर दोनों के बीच बढ़ते प्यार में कोई अवरोध नहीं डाल पा रहा था.पूजा और शशांक दोनों रोज घंटो बातें करते,हालाँकि दोनों एक-दो बार ही मिले थे,जब शशांक भारत आया था,लेकिन वो मिलन सदियों के मिलन से भी बड़ा था….एक-दो मुलाकातों में ही उन्होंने साथ जीने मरने की कसमें खा ली थी,प्यार अगर सच्चा हो तो वक़्त मायने नहीं रखता.शशांक की प्यार भरी बातें जैसे पूजा के मन में अजीब सी हलचल मचा जाती थी,पूजा को आजतक किसी ने इतना प्यार नहीं किया.पूजा हर वक़्त,शशांक के ख्यालो में डूबी रहती,उसने अपने भविष्य की कई कहानिया शशांक के चारो और ही बुन रखी थी.पता नहीं क्यों उसे शशांक से इतना प्यार हो गया,और कब हुआ ये भी नहीं पता…अक्सर प्यार में वक़्त गवाही नहीं देता,कोई तिथि नहीं होती जो बताये कब प्यार हुआ,और कोई वजह नहीं होती के क्यों प्यार हुआ.पयर तो एक अविरत बहती बयार है,जो कब शुरू हो कब ख़तम,साथ में क्या लाये और क्या नहीं ,कहना बहुत कठिन है.पूजा शशांक को करीब 1 साल से जानती थी,दोनों एक दूसरे से बहुत दूर रहते थे,लेकिन आभाष तो साथ रहने का ही था,शशांक की आवाज हरदम उसके कानो में गूजती रहती.हर छोटी बड़ी बात में शशांक का जिक्र होता.और इसी तरह दोनों के बीच प्यार बढ़ता गया……वक़्त अपनी गति से गुजर रहा था,वक़्त की स्वयं कोई गति नहीं होती,हालातो के हाथ वक़्त भी मजबूर है,दुखी हालात समय को जाने से रोकते है और सुखी, उसकी गति को बढ़ा देते है….आखिर समय आ ही गया,शशांक को अब भारत आना था,पूजा की ख़ुशी जैसे आसमान छू रही थी.अपने प्रेमी से मिलने की ख़ुशी,उसके मन में हजारो अरमान थे…वो आएगा तो उस से ढेर सारी बातें करुँगी,उसकी बाहों में जैसे सारा जीवन ही निकाल दूंगी,फिर कही घूमने जायेंगे,खूब मौज मस्ती ……जो इतने महीने इस तरह से गुज़रे उनका दुःख तो कुछ ही पलो में भूल जाऊँगी,ऐसे न जाने कितने ख्यालात पूजा के मन में अठखेलिया कर रहे थे…..आज की रात काटना बहुत मुश्किल हो रहा था,इतने सारे विचार,इतनी उत्सुकता,इतना प्यार …शायद पहले कभी नहीं था,
पूजा हाथो में गुलाबो से भरा बुके लिए विसिटर गेलरी में खड़े हुए शशांक का इंतज़ार कर रही थी.पिछली बार मिली थी तो शशांक ने आ के चूम लिया था.सबके सामने ऐसा करने पर पूजा ने बहुत डांटा था शशांक को ,पर इस बार,इस बार तो जैसे……पूजा की पलके शशांक के इंतज़ार को सम्हाल नहीं पा रही थी.फिलाईट को आये हुए 15 मिनट हो चुके थे.शशांक को देख पूजा की आँखें खिल उठी,उसे लगा जैसे संसार के सबसे बड़ी ख़ुशी उसके सामने आ गयी है,उसे शंशंक में ही अपना सब कुछ नज़र आ रहा था,अपना प्यार,अपना जीवन,अपना भगवान,अपनी सारी खुशियाँ……पूजा को देख शशांक ने उसे गले लगा लिया,उसके माथे को चूमा…इतना प्यार जैसे पूजा से सहा नहीं गया,उसकी आँखें छलक आई…. उसके आंसुओ को पोछते हुए शशांक ने कहा – पागल रोती क्यों हो ? आ तो गया हूँ तुम्हारे पास …..अब तुम्हारे पास ही रहूँगा,कही नहीं जाऊंगा
दोनों एरपोर्ट से घर आ चुके थे.पूजा ने आज खाने में काफी कुछ बनाया था ,उसे पता था शशांक को खीर बहुत पसंद है….पूजा ने अपने हाथो से शशांक को खाना खिलाया,जब कुछ भी प्यार से बनाया जाये तो अमृत बनता है,फिर चाहे स्वाद कैसा भी हो,दिल तक जाता है …. ,दोनों ने ढेर सारी बातें की…आज जैसे सारी कायनात पूजा के चारो ओर थी.दिन गुजरने लगे,दोनों का प्यार बढ़ने लगा,दोनों एक साथ रहने लगे थे.अब शायद वक़्त आ गया था कि इस रिश्ते को कोई नाम दिया जाये,दोनों के घरवाले भी इस नाम के लिए राजी थे,कोई अड़चन न थी…….सब कुछ जैसे मन मुताबिक ही चल रहा था,शायद सब कुछ …..पर मन को कौन जाने
शशांक रोज रात को ऑफिस से देर से घर आता,ऑफिस दूर भी था ओर काम भी बहुत ज्यादा था,पूजा अपने कॉलेज से काफी दूर रहने लगी थी ताकि ,शशांक कि नजदीकिया ऑफिस से बढ़ जाये ओर उस से भी….पूजा ने जैसे शशांक के लिए सब कुछ छोड़ दिया था,अपने सारे दोस्त,दोस्तों के साथ बातें,ओर शायद अपनी पढाई भी ….कॉलेज अब एक ओपचारिकता ही थी.रोज शाम को शशांक का इंतज़ार करना,एक साथ खाना बनाना,फिर कुछ देर घूमना ओर फिर सारी रात शशांक कि बाहों में सो जाना.आज पूजा का जन्मदिन था,दोनों ने काफी प्लान बनाये हुए थे इस दिन के लिए,एक अच्छे से होटल में खाना,फिर डिस्को जाकर ढेर सारी मस्ती,शशांक के साथ रह कर पूजा भी आजकल थोडा बहुत पीने लगी थी.शराब और प्यार का नशा कॉकटेल हो जाता है,दोनों के जज्बात जैसे आज अपने पूरे परवान पर थे.जब दो प्रेमी मिल जाये तो लगता है कि संसार में कुछ शेष नहीं है,ये कोई छद्मता नहीं,बल्कि भावो का,विचारो का एकीकरण होता है,दोनों आज एक दूसरे कि बाहों में थे.अथाह प्यार पूजा के इनकार पर हावी था,दोनों कि शादी होने वाली थी इसलिए पूजा को प्यार के इस चरम में भी कोई आपत्ति नहीं थी.ये पल पूजा कि जिंदगी में पहली बार आ रहा था,पूजा इसके लिए तैयार तो न थी लेकिन मना भी नहीं कर पा रही थी,जिसे अपनासब कुछ दे चुकी है,अपना विश्वास,अपने विचार,अपने भाव,अपना मन ,अपना दिल,फिर तन कोई मायने नहीं रखता…..कमरे कि धीमी होती रौशनी,जैसे पूजा के मन में एक सोम्य सा उजाला पैदा कर रही थी,शशांक उसके हर अंग को तरास्ता,अपने लबो से हर अंग की बारीकियों को छूता आगे बढ़ता जा रहा था….आज जैसे भावनाए अपने असिस्तव को साकार रूप दे देना चाह रही थी,हर उस चीज़ को…जो कही न कही शशांक या पूजा के मन में थी,जन्मदिन का ये तोहफा पूजा ने आज शशांक को दे दिया…पूजा को चुमते हुए शशांक उठ बैठा
थोड़ी देर तो बैठो कहा जा रहे हो – पूजा की आँखों में जैसे प्यार तैर रहा था
एक अर्जेंट कॉल है पूजा अमेरिका से,लेना जरुरी है,यही हूँ तुम्हारे पास,कही नहीं जा रहा ..पूजा के बालो में अपनी उंगलिया घुमाते हुए शशांक ने कहा
चलो giv me 30 min,i will come bk …..कहते हुए शशांक ने पूजा के गाल पर चूम लिया,पूजा जैसे शशांक के ख्यालो में डूब गयी,कब आँख लगी पता ही नहीं चला,और ये भी पता नहीं चला की कुछ पाया या कुछ खोया…शायद कुछ चीज़े इंसान अपने दिमाग से नहीं सोच पाता,न ही दिल से …शायद भविष्य ही है जो समझ लेता है और वक़्त आने पर उसे समझाता है
अब ये रोज की बात होने लगी थी,शादी होने के बंधन ने जैसे समाज,परिवार के बन्धनों से मुक्त कर दिया था….
honey,उठो,देखो चाय बन गयी है,पूजा की देर से उठने की आदत कम से कम एक फायदा उसे दिला ही देती थी….बेड टी ….!!! शशांक के सपनो में डूबी आँखें सूरज की किरणों को देखने को तैयार न थी.
शंकु,ये परदे क्यों हटा देते हो सुबह सुबह …..ये ही नाम शशांक के लिए पूजा के मुहं से निकलता था ,पूजा के लिए वो शंकु था और दोस्तों के लिए शेंकी
सुबह ? 10 बज चुके है …मैं बाथरूम में जा रहा हूँ नहाने …जल्दी उठो,कुछ खाने को बना दो बहुत भूख लग रही है,तुम्हे तो पाता है कैसा खाना मिलता है ऑफिस में ….शशांक जल्दबाजी में जातें हुए बोला
पूजा का मन उठने को कतई तैयार नहीं था,तभी शशांक का फोन बज उठा,स्क्रीन पर किसी राहुल का नाम था
sugars,देखो न किसका फोन है – बाथरूम से शशांक की आवाज आई
पूजा ने फोन उठाया,दूसरी और किसी लड़की की आवाज थी – hey shenky,I m waiting for u ……कहा हो जानेमन,पूजा के सामने जैसे अँधेरा सा छा गया,गले में जैसे आवाज ही अटक गयी थी.कुछ समझ नहीं आ रहा था.पूजा ने फोन काट दिया …
किसका फोन था – शशांक ने फिर पूछा
पता नहीं,अपने आप कट गया -पूजा नहीं चाहती थी की शशांक को कुछ पता चले,लेकिन उसका मन …उसका दिल ये मान ने को तैयार न था…पर दिमाग का क्या करे,वो सोचना भी बंद नहीं करता.
आज पूजा कॉलेज भी नहीं गयी,न कुछ खाया…बस एक ही सवाल,कौन थी वो ? अगर दोस्त थी तो नंबर राहुल के नाम से क्यों सेव था ? क्या कोई और भी है शशांक की जिंदगी में ? ऐसे न जाने कितने ही सवाल पूजा को परेशां कर रहे थे.किस से पूछे ? शशांक से ? नहीं उस से क्यों पूछेगी? वो तो गलत ही बताएगा …दोस्तों को तो वो कब का छोड़ चुकी है …..किस को बताये ? पूजा कुछ समझ नहीं पा रही थी,मन नहीं लग रहा था कंप्यूटर के सामने जा बैठी.शायद इस समय ये ही मन को थोडा सहारा दे,….अपने सारे मेल देखने लगी,कितने दिन हुए,सबसे तो नाता सा टूट गया था.लेकिन शायद कोई तो था जो पूजा के सामने सच लाना चाहता था…..गलती से शशांक अपना मेल खुला छोड़ गया था.शायद एक रास्ता भगवन ने पूजा के लिए खोल दिया था ….हर एक मेल को चैक करती,हर एक मेल को पड़ती …..एक एक मेल खुलता जा रहा था और पूजा की आँखों से जैसे बढ़ता पानी सब कुछ बाहे ले जा रहा था,हर एक बाँध को तोड़ता,जैसे आज उसका प्यार पानी बन चुका था और उसके दिल से बाहर आ जाना चाहता था …….नहीं,कोई ऐसे कैसे कर सकता है?इतना धोखा?इतनी बनाबट?इतना फरेब? नहीं ………..एक इंसान नहीं कर सकता,दिल इतना गन्दा नहीं हो सकता,….पूजा की तो जैसे सांस ही उखड गयी थी,कोई तो न था उसके पास,न दोस्त,न घरवाले….किसको बताये? उसने भी तो किसी को बिना बताये ये सब कुछ किया था ……
आज शशांक रोज की तरह फिर देर से आया,पूजा के मन में जैसे हजारो सवाल थे,पर कैसे पूछे,कहा से शुरू करे ……जिस चेहरे में कल तक भगवान था ,आज अचानक,वही इंसान ….उसकी आँखें,उसके दिल से बगावत कर रही थी
शशांक,कौन है ये शिल्पा? – पूजा की आँखों में जैसे सैलाब सा उमड़ रहा था
कौन शिल्पा ? – शशांक ने अनजान बनते हुए कहा
देखो शशांक,सच बताओ…..मुझे बुरा नहीं लगेगा,मैं समझ सकती हूँ ….बता दो …मेरा प्यार कम न होगा – पूजा के दिल में शशांक के लिए प्यार अभी भी बरक़रार था
कोई नहीं है रे, ऑफिस में है एक …दोस्त है मेरी – शशांक ने पूजा को अपनी बाहों में लेते हुए कहा
दोस्त? दोस्त के साथ तुम डिस्को जातें हो,दोस्त को तुम I Love You बोलतें हो,दोस्त के साथ रातें बिताते हो ……पूजा के अन्दर जैसे ज्वालामुखी फूट रहे थे
पूजा अब तुम हद पार कर रही हो,तुम अभी ही वही,गाँव की लड़की की तरह बात करती हो ….रहोगी तो वही न,तुम लोगो को कितना भी पैसा मिल जाये लेकिन औकात ………शशांक भी जैसे अपनी गलती को अपने गुस्से में दबा देना चाहता था
औकात ? जानती हूँ मेरी औकात ….और अब तो वो भी नहीं रही,तुम जैसे दोगले इंसान के साथ रहकर – पूजा को जैसे अपनी गलती को आभाश हो रहा था.
बिना कुछ बोले पूजा अन्दर कमरे में चली गयी,आज खाने में कुछ नहीं बना,धीरे धीरे सारी बातें सामने आने लगी,वो रोज आकर शशांक का कहना की भूख नहीं है ऑफिस में कुछ खा लिया था,वो वीकेंड को भी ऑफिस जाना,रात को ऑफिस कॉल…सब कुछ जैसे पाने मायने बदल रहा था …..हाथ में शराब का गिलास लिए,येही सोच रही थी ,क्या करे,किसको कहे,घरवालो को बताये? उनसे लड़कर ही तो उसने अपनी बात मनवाई थी.दोस्तों को? जिन्हें वो कबका छोड़ बैठी है..और अपनी उस सहेली को जिसने पहले ही बताया था की शशांक का पहले भी किसी के साथ ………….
अभी तक नाराज हो? शशांक ने कमरे का दरवाज़ा खोला और उसके पास आकर बैठ गया
नहीं,कुछ नहीं हुआ ..i m ok – कहते हुए पूजा की नज़रे शराब से भरे गिलास की तरफ गयी,एक ही घूँट में सारा गिलास जैसे जिस्म के अन्दर उतर गया और जैसे शायद सारा दर्द भी
शशांक ने पूजा के गले में अपने बाहों को डालते हुए कहा –i m sorry,पापा का फोन आया था,कह रहे थे शादी के कार्ड छप चुके है
पूजा को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ,शशांक का स्पर्श जैसे आज उसे चुभ रहा था,जैसे किसी झूठन आज उसके सामने थी ,पर उसे तो अब ये ही सहना था ….इस रास्ते.पर वो इतना चल आई थी,अब पीछे जाना मुश्किल था ..हाँ शायद अब मंजिल कुछ न थी ….पर चलना मजबूरी थी …हाँ, शायद मजबूरी ही